एक शाम उनके नाम
“एक शाम-उनके नाम”
चलो आज हम एक नया काम करते हैं,
ये दिन भूखे-गरीबों के नाम करते हैं।
कुछ रोटियां और कुछ कपड़े जुटाते हैं,
चलो आज उनकी हसीं ये शाम करते हैं।
उद्योगों के सृजन का भूमिका निभाते हैं,
श्रमिक निज लगन से उसको सफल बनाते हैं।
आओ उनकी मेहनत को सलाम करते हैं,
चलो आज उनकी हसीं ये शाम करते हैं।
श्रमिक अपने मेहनत की कमाई खाते हैं,
फिर भी क्यों हेय दृष्टि से देखे जाते हैं?
आओ आज हम उनका सम्मान करते हैं,
चलो आज उनकी हसीं ये शाम करते हैं।
श्रमिक नव सर्जन व विकास का कर्णधार है,
मान-मर्यादा का उसको भी अधिकार है,
आओ हम अमर ऐसा पैगाम करते हैं,
चलो आज उनकी हसीं ये शाम करते हैं।