गाय कोई जानवर नहीं है
गाय कोई जानवर नहीं है! गाय एक संस्कृति है, गाय एक वैद्यशाला है व हिंदू ही नहीं सम्पूर्ण मानव जाति की पौशक है | गाय की महिमा पौराणिक व वैदिक ग्रंथों में बडे विस्तार पूर्वक वर्णित है | गाय भारतवर्ष के लिए तो एक वरदान है | प्राचीनकाल से भारतवर्ष को गाय समृद्धिशाली बनाती आई है | हमारे ऋषि – मुनियों ने गाय को अपने आश्रमों में प्रमुखता से स्थान दिया |
आज विग्यान ने भी गाय की महत्वपूर्णता को प्रमाणित कर दिया है | गाय का दूध, घी, मूत्र औषधीय गुणों से भरपूर हैं | भारतवर्ष की अर्थव्यवस्था में कभी गाय अपना महत्वपूर्ण योगदान देती थी परन्तु आज किसी को गाय की चिंता नहीं है | जिस गाय को मुगलशासन के समय में भी कत्ल नहीं किया जाता था, आज उसी गाय को बीच चौराहों पर बडी निर्ममता से काटा जा रहा है | जिस धर्म में गाय को गाय नहीं गौमाता कहा जाता है, उसी धर्म के लोगों के पास गाय और गौशालाओं के लिए एक पैसा नहीं और मंदिर में बैठे पत्थरों के भगवान पर करोडों का चढ़ावा चढ़ा रहे हैं | भागवत कथाओं के नाम पर किट्टी पार्टीयॉ कर रहे हैं, इसमें भी लाखों – करोडों खर्च कर रहे हैं | पर गाय के लिए एक ढेला नहीं | वे समझते हैं कि ऐसा करने से उन्हें पुण्य प्राप्त होगा, पापकर्म छूट जायेंगे और स्वर्ग की प्राप्ति होगी | वाह रे! भोले-भाले मूर्ख नादान हिंदू….. तेरी बुध्दि पर तरस आता है |
अभी ज्यादा कुछ नहीं बिगड़ा है, समय रहते हिंदू चेत जाये तो अपनी महाभूल को अभी भी सुधार सकता है | गौपालन करके, गौशालाओं को मदद करके, देसी गाय को शंकर बनने से बचाकर, कत्लखानों से बचाकर, आवारा घूम रहीं गौओं को गौशालाओं में पहुंचाकर, गाय की विशेषताएं सम्पूर्ण जगत में प्रचार – प्रसार करके, धर्मगुरूओं पर धन न लुटाकर – सीधे गौसेवा करके | अगर हिंदू समय रहते उपर्युक्त बातों पर अमल करे तो आज निश्चिय ही गौमाता को बचाया जा सकता है और भारतवर्ष गौहत्या के पाप से मुक्त भी हो सकता है |
— मुकेश कुमार ऋषि वर्मा
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