ग़ज़ल
बारिश के बाद ही तो इंद्रधनुष खिलता है
ये आसमां भी धरा से क्षितिज में मिलता है
सपने देखना, नींद में कोई बड़ी बात नहीं
पर पूरे वहीं होते जो खुली आंख दिखता है
ये खयाल ये प्रयास ये अवसर आते रहेंगे
विजय वही पाता है जो अवसर पे चलता है
करने को तो काम सब ही करते हिस्से का
पता उसी का चलता जो चल निकलता है
मत कहो किस्मत को बर्बादी का कारण
सफलता पा के हर कोई बेसब्र मचलता है
— नन्द सारस्वत