पहला पानी
मेरे गाँव में बरसा होगा ,पहला पानी।
मोटे मोटे बूँद, गिरें होंगे धरती पर ।
बहुत जोर से गरजें होंगे मेघ भयंकर।
उड़ती धूल मिल गई नव वर्षा से,
ठंडी होकर बैठ गई होगी खेतों पर ।
सोंधी सुरभि उठी होगी जानी पहचानी ।
मेरे गाँव में बरसा………………….
ताल तलैय्या पानी से उमड़ाये होंगे।
पीले पीले दादुर बाहर आयें होंगे ।
इत उत वो उछले होंगे,छिछले पानी में,
रात रात भर टर्र टर्र चिल्लाये होंगे ।
धरती की चूनर धुलकर , लागे नव,धानी।
मेरे गाँव में………………….
पानी भरे बिलों मे जब अकुलाये होंगे।
बेचारे चूहे भी बाहर आये होंगे।
खेल रहे होंगे सारे चरवाहे बालक,
ननकू भाई महफिल वहीं जमाये होंगे।
गाकर ,सदाबिरज की सारंगा दीवानी ।
मेरे गाँव ………………………….
-डॉ. दिवाकर दत्त त्रिपाठी