देखता आकाश जानिब सोचने में व्यस्त है।
पंख तेरे पास लेकिन हौसला जो पस्त है।
क्यों प्रतीक्षा कर रहा है वक्त की ऐ बेखबर।
अनुकरण के योग्य होता खुद बनाता जो डगर॥
स्नातकोत्तर (हिंदी साहित्य स्वर्ण पदक सहित),यू.जी.सी.नेट (पाँच बार)
जन्मतिथि-03/07/1991
विशिष्ट पहचान -शत प्रतिशत विकलांग
संप्रति-असिस्टेँट प्रोफेसर (हिंदी विभाग,जगद्गुरु रामभद्राचार्य विकलांग
विश्वविद्यालय चित्रकूट,उत्तर प्रदेश)
रुचियाँ-लेखन एवं पठन
भाषा ज्ञान-हिंदी,संस्कृत,अंग्रेजी,उर्दू।
रचनाएँ-अंतर्मन (संयुक्त काव्य संग्रह),समकालीन दोहा कोश में दोहे
शामिल,किरनां दा कबीला (पंजाबी संयुक्त काव्य संग्रह),कविता
अनवरत-1(संयुक्त काव्य संग्रह),यशधारा(संयुक्त काव्य संग्रह)में रचनाएँ
शामिल।
विभिन्न राष्ट्रीय एवं
अंतर्राष्ट्रीय पत्र-पत्रिकाओं में रचनाएँ प्रकाशित।
संपर्क-
ग्राम-टीसी,पोस्ट-हसवा,जिला-फतेहपुर (उत्तर प्रदेश)-212645
मो.-08604112963
ई.मेल[email protected]