“कह मुकरी”
मुंह देखी मत बात बनाओ
रोज रोज कस होठ चबाओ
हाव भाव रखे मिलता मान
ए सखि सोहबत, न सखि पान।।
बिन पानी की उपजे सनई
मीठी बोली बोलत मनई
झूम उठे पाकर इन्सान
ए सखि नेकी, न सखि पान।।
महातम मिश्र, गौतम गोरखपुरी
मुंह देखी मत बात बनाओ
रोज रोज कस होठ चबाओ
हाव भाव रखे मिलता मान
ए सखि सोहबत, न सखि पान।।
बिन पानी की उपजे सनई
मीठी बोली बोलत मनई
झूम उठे पाकर इन्सान
ए सखि नेकी, न सखि पान।।
महातम मिश्र, गौतम गोरखपुरी