गीतिका/ग़ज़ल

बादल 

आँख मिचौली करते बादल
हमको कितना छलते बादल
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कभी उमड़ते कभी घुमड़ते
लेकिन नहीं बरसते बादल
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चालीस पर अटका है पारा
किन्तु नहीं पिघलते बादल
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सूखे गाँव गली चौबारे
पल भर नहीं ठहरते बादल
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व्याकुल देख सभी को अक्सर
ठंडी आहें भरते बादल
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आसमान पर आँख गढ़ाए
लोग सभी ही तकते बादल
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सूरज के सँग अठखेली कर
देखो खूब मटकते बादल
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सच बोलूं तो इन हरकत से
अब नैनों को खलते बादल
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रमा प्रवीर वर्मा…..

रमा वर्मा

श्रीमती रमा वर्मा श्री प्रवीर वर्मा प्लाट नं. 13, आशीर्वाद नगर हुड्केश्वर रोड , रेखानील काम्प्लेक्स के पास नागपुर - 24 (महाराष्ट्र) दूरभाष – ७६२०७५२६०३