“हाइकू”
जुते हुए हैं
गज भर जमीन
खुदी धरती॥-1
काली घटा है
छाँव छत छप्पर
मन आतुर॥-2
बढ़ती गर्मी
वर्फ पिघलते हैं
सूखते होठ॥-3
सिकुड़े नैन
आस आसमान है
बूंद टपके ॥-4
नाचने मोर
पहली बरसात
दिखे मेढ़क॥-5
महातम मिश्र, गौतम गोरखपुरी
जुते हुए हैं
गज भर जमीन
खुदी धरती॥-1
काली घटा है
छाँव छत छप्पर
मन आतुर॥-2
बढ़ती गर्मी
वर्फ पिघलते हैं
सूखते होठ॥-3
सिकुड़े नैन
आस आसमान है
बूंद टपके ॥-4
नाचने मोर
पहली बरसात
दिखे मेढ़क॥-5
महातम मिश्र, गौतम गोरखपुरी