पर तू आ
ए सुन तो
तू क्यों न हवा बन जा
जब भी याद करूं दिल से
तो बह के मेरे पास चली आ
मैं तुझे गले लगाऊं
ओर तू मुझे अपने संग बहा
या फिर
चल नदी बन जा
कोई कितना भी रोके
सारे बन्धन तोड़ मेरे पास चली आ
तू भी भीग
ओर अपने प्रेम रस में मुझे भी भिगा
पर तू आ
#महेश