प्यार ही आधार
प्यार ही आधार जीवन सार है
प्यार जीवन की सुखी पतवार है
यह खुदा की दी हुई सौगात है
प्रीत के बिन आज जीवन भार है
मीत प्यारा सा न मिलता हो कभी
तब लगे सब कुछ यहाँ मझधार है
खे रहा नौका मिरी है जो पिया
खास उसको तो यहाँ पुचकार है
लोट आता जब तलक वो घर नही
तब जिया मेरा रहे बीमार है
शाम सूनी सी डराने जब लगी
तब बजे कोई न झनकार है
जब विरह को दूर कोई भी करे
तब उसी को दिल इसी पुरूस्कार है
डॉ मधु त्रिवेदी