बहरी सरकार
गजल
आज बहरी हो गयी सरकार है
इसलिए हर शख्स अब लाचार है
रोज धरती पुत्र मरते जब यहाँ
तब किसां मांगे सभी अधिकार है
रेप चलते -फिरते होते है यहाँ
लड़कियाँ अब हो गयी लाचार है
जानवर सी हरकतें करते वहीं
आज धरती के लिए जो भार है
पल सपोले से रहे जो इस जहाँ
मार देना चाहिए जो खार है
हो दुराचारी जमीं जो यहाँ
जिन्दगी उसकी यहाँ धिक्कार है
नेक नीयत जब किसी की हो न तब
हर घड़ी उनके लिए खबरदार है
डॉ मधु त्रिवेदी