हाल -ए -दिल
गजल
हाल-ए -दिल उनको आज सुनाया जाये
जख्म दिल का उनको फिर से दिखाया जाये
अत़्फ की चाह मुझे है उनसे अब तक तो
इसलिए अश्क बहे हुए दिखाया जाये
धड़कने नग़्म विरह के अब गाती रहती
जेर मेरे दिल के आज दिखाया जाये
जो घरोंदे बसते प्रीत की तेरे वो अब
एक झोका जब चलता तो उड़ाया जाये
छोड़ हरकत इस नादाँ दिल की अब तो फिर
एक सुंदर सा जहाँ फिर से बसाया जाये
शब्द -अर्थ
अत़्फ –प्रेम,दया
नग़्म –गान
जेर –घाव
डॉ मधु त्रिवेदी