बाल कविता : मैं हूँ नन्हा-मुन्ना बच्चा
मैं हूँ नन्हा-मुन्ना बच्चा
दिल का हूँ सच्चा-बच्चा
पिता मेरे जीवन का आधार
खुशियों से भरा पूरा परिवार
माँ हरकदम पर मुझे चलाने वाली
तो पिता दोनों हाथ बजाते ताली
कितनी मनमानी सहते है पापा
हमें नेक इंसान बनाते है पापा
आज बनी है दिल में तस्वीर
पिता ने बनाई मेरी तकदीर
जब से ली बचपन की हुंकार
पिताजी हरपल-हरदम तैयार
पिता के बिन मेरा चेहरा खिल नहीं सकता
और ऐसा सुख मुझे मिल नहीं सकता
पिताजी के प्यार का कितना बड़ा है पैमाना
मैं तो हूँ बस उनकी मुहब्बत का मस्ताना
दिल को रहता है इंतजार
कब मिले मेरे हिस्से का मुझे प्यार
मुरझाया हुआ चेहरा तब खिल जाता
जब कहती है मेरी मैया
तुम हो पिता का कृष्ण-कन्हैया।
— जालाराम चौधरी