कविता

कविता : आदमी की चाह

आदमी को चाहिए
दो जोड़ी कपड़े
भरपेट भोजन और
सिर पर छप्पर
जब यह मिल जाता है
तो आदमी को चाहिए
एक बंगला
चार पहिये वाली गाड़ी
और बैंक बैलेंस
जब यह भी मिल जाता है
तब आदमी चाहता है
दुनिया को काबू में करना
और महान बनना
इसी जद्दोजहद में
आदमी का बचपन
जवानी और बुढ़ापा
चला जाता है
पर आदमी की इच्छाओं का
स्वच्छंद आकाश
कभी ना तृप्ति के मेघों से
ढक पाता है !

देवेन्द्रराज सुथार

देवेन्द्रराज सुथार , अध्ययन -कला संकाय में द्वितीय वर्ष, रचनाएं - विभिन्न हिन्दी पत्र-पत्रिकाओं में प्रकाशित। पता - गांधी चौक, आतमणावास, बागरा, जिला-जालोर, राजस्थान। पिन कोड - 343025 मोबाईल नंबर - 8101777196 ईमेल - [email protected]