“कुंडलिया”
कुदरत ने सब कुछ दिया, आम पाम अरु जाम
हम मानव ने रख दिया, अमृत फल का दाम
अमृत फल का दाम, नाम जस गुन रखते थे
औषधि के भंडार, दरख़्त विपुल फलते थे
गौतम गुच्छे देख, जामुनी पोषक बरकत
हाथ लगे रसधार, पिलाए मधुरस कुदरत।।
महातम मिश्र, गौतम गोरखपुरी