वक्त भी कैसे कैसे रंग दिखाता है
वक्त भी कैसे कैसे रंग दिखाता है
कभी हंसाता है तो कभी रुलाता है
फूलों की सेज मिलती है कभी
कांटों पे भी सोना सिखाता है
चांदनी सा ठंडा ठार है कभी
धधकते शोले सा भी जलाता है
छिन जाते हैं तख्तो ताज कभी
कभी रंक भी राजा बन जाता है
उजाड देता है चमन को कभी
कभी रंग बिरंगे फूलों से सजाता है
प्यार ही बांटे वक्त जो थोड़ा मिला
वक्त के ज़ख्मों को ये सहलाता है
वक्त का पल पल मजा लिजिये
गुज़रा वक्त लौट कर नहीं आता है
अर्जुन सिंह नेगी
शिमला 28-06-2017