कविता

कविता : रात और दिन

मेरे हिस्से में रात आई
रात का रंग काला है
इसमें कोई दूजा रंग नहीं मिला
इसलिए सदा सच्चा है
मेरी ज़िन्दगी भी अकेली है
कोई दूजा ना मिला!

फिर दिन का हिस्सा
सफेद रंग का है
जो दूजे रंग से मिल बना
झूठा सा दिखता है
फिर भी जीवन में
विविध रंगों को भरता है
वो कहाँ गया
जो मेरे दिल को भाता था
शायद गुम हो गया
रात के काले में!

कुमारी अर्चना

कुमारी अर्चना

कुमारी अर्चना वर्तमान मे राजनीतिक शास्त्र मे शोधार्थी एव साहित्य लेखन जारी ! विभिन्न पत्र - पत्रिकाओ मे साहित्य लेखन जिला-हरिश्चन्द्रपुर, वार्ड नं०-02,जलालगढ़ पूर्णियाँ,बिहार, पिन कोड-854301 मो.ना०- 8227000844 ईमेल - [email protected]