मुक्तक
अरमान जो भी थे मेरे दिल में ठहर गए
सब रंजिशे गम भी तब जाने किधर गए
रूठा हुआ सहरा भी गुलिदस्ताँ बन गया
जब वो मिरे करीब से हँसकर गुजर गए!
— डॉ सोनिया गुप्ता
अरमान जो भी थे मेरे दिल में ठहर गए
सब रंजिशे गम भी तब जाने किधर गए
रूठा हुआ सहरा भी गुलिदस्ताँ बन गया
जब वो मिरे करीब से हँसकर गुजर गए!
— डॉ सोनिया गुप्ता