वर्षा
पहली वर्षा हुई
गिरी पानी की बूँदें
मिट्टी की सौंधी खुशबू अब आई ।
धरा का सूखा कंठ देख मानो बादल ने
वर्षा कर,धरा की प्यास बुझाई ।।
ठंडी-ठंडी चली हवा
ठंडा-ठंडा हुआ मौसम ।
बच्चे-बढ़े सब खुश हो गए अब
हर लिए हों मानो जैसे वर्षा ने
सबके गम ।।
– नवीन कुमार जैन