गीत/नवगीत

तुमसे मिलने की घड़ी आ रही है

मेघ से भू पर बूंदों की झड़ी आ रही है।
मानों तुमसे मिलने की घड़ी आ रही है।।

ये बादल घटाएं और व्याकुल बिजलियाँ
है रखे हुए सिर पर जल की गगरियाँ
है बहने लगी अब तो पवन मदभरी
लगे सागर से मिलकर  अभी आ रही है।

मेघ से भू पर बूंदों की झड़ी आ रही है
मानों तुमसे मिलने की घड़ी आ रही है।।

सप्त दादुर ने भी अपना इक राग छेड़ा
नृत्य करने लगे झूमकर मोर बनाकर के घेरा
दहके उपवन की कलियाँ ऐसे गुनगुनाने लगी
ज्यों प्रिय मिलन की कोई कहानी कही जा रही हैं।

मेघ से भू पर बूदों की झड़ी आ रही है
मानों तुमसे मिलने की घड़ी आ रही है।।

बैठ झूले पे सखियाँ सावन गाने लगीं
डूबती मैं भी सपनों में गोते लगाने लगी
याद आने लगा तू इस तरह से सजन
मानों बेसबर धड़कन  अब तो रूकी जा रही हैं।

मेघ से भू पर बूंदों की झड़ी आ रही है
मानों तुमसे मिलने की घड़ी आ रही है।।

गुंजन गुप्ता 

गुंजन गुप्ता

पिता - श्री मुन्ना लाल गुप्ता ☆माता - श्रीमती हेमन्त गुप्ता ☆जन्मतिथि -10-03-1989 ☆शिक्षा- एम. ए. द्वय ( हिन्दी, समाजशास्त्र ) बीएड, यूजीसी नेट हिन्दी त्रय व्यवसाय - अध्यापन पता- ग्रा.काजीपुर पोस्ट - गढ़ी मानिकपुर लाटतारा जिला - प्रतापगढ उ प्र ●प्रकाशित साहित्य - साझा काव्य संग्रह - 1-जीवन्त हस्ताक्षर ,2- काव्य अमृत, 3-कवियों की मधुशाला, 4- बूँद-बूँद रक्त । ▪पत्र- पत्रिकाएं- साहित्य सम्पदा, साहित्य सोम, करूणावती साहित्य धारा, अनवरत वाणी, हिन्दी सागर, काव्य रंगोली, साहित्य समीर दस्तक, वूमेन एक्सप्रेस, वर्तमान अंकुर, नेशनल एक्सप्रेस लोकजंग, सप्ताहिक अकोदिया सम्राट, जागरूक जनता आदि में अनवरत प्रकाशन । ■प्रकाशाधीन साहित्य - समवेत संकलन '-1- नारी काव्य सागर, 2-भारत के श्रेष्ठ कवि कवयित्रियाॅ। ●समवेत कहानी संग्रह - 1-मधुबन 2- लाल चुटकी ■कई शोध पत्र प्रकाशित ●-1-"प्रिय प्रवास में स्त्री पात्रों की मानवीय भूमिका " 2- "रक्तदान उत्सव एक जीवनोत्सव" 3- प्रो शामलाल और उनका साहित्य 4- पुरूष बनाम स्त्री समीक्षात्मक लेख प्रकाशित । ■मातृभाषा डाॅट काॅम पर प्रकाशित रचनाएं ●कई साहित्यिक समूह फेसबुक और वाट्सप पर सक्रीय तथा समूह एडमिन । ■सम्मान - *अमृत सम्मान प्राप्त * साहित्य सोम सम्मान ¤ईमेल- [email protected] मो. नं.- 9984381190 प्रतापगढ़ (उ.प्र)