कविता

जिंदगी के सफ़र में 

जिंदगी के सफ़र में
हमसफ़र ढूंढ़ती मेरी आँखें
तुम पर आकर रुकी थी

तुम्हे देखा तो
लगा था कि
मुकम्मल हमसफ़र मिल गया है।

उठते,जागते, सोते
हर वक्त तुम्हे सोचा था
तुम्हारी तस्वीर को
मोबाइल की स्क्रीन पर
बार बार देखना
तुम्हारी कॉल डीटेल देख कर
मुस्कुराना
तुमसे की हुई बातों को फिर से सोचना
याद करना
ओर तुम्हारे फोन कॉल का
बेसब्री से इंतजार करना

तुम्हारी सोने सी खनकती
आवाज को सुन कर
तुम्हारा मेरी रूह में उतार जाना

कभी- कभी मैं ख्यालों में
भटकते -भटकते कितना आगे निकल जाता था
मेरी सपनो की दुनिया में
हर तरफ तुम ही  थी
तेरी आवाजें मेरे कानों में गूंजा करती थी

मैं कभी तुम्हे कह नही सका
की में तुम्हे कितना प्यार करता हूँ
तुम्हारे बिना में कितना अधूरा हूँ
क्यों कि मुझे डर था ।
की में तुम्हे कहि खो न दु
ओर इस तरह में तुम्हें
कभी पा न सका ।

मैं तुम्हें कभी भूल नही पाऊंगा
तुम मेरी कविता शायरी ओर
हर किरदार में रहोगी
कभी फुरसत मिले
अपनी सिलाई ओर रसोई से
तो पढ़ना इस पागल को
मेरे हर गीत में तुम खुद को ही पाओगी

नयन डी बादल

नयन डी बादल

नाम - नयन डी बादल (नैनाराम देवासी) पता - मुकाम पोस्ट सांकरणा तहसील -आहोर जिला -जालोर (राज.) मो. 7424927024 ईमेल- [email protected]