“ये दुनिया वाले”
छिड़कते हैं नमक हमारे घावों पर ये दुनिया वाले
बिदकते हैं छोटी-छोटी बातों पर ये दुनिया वाले
अक्सर पहाड़ राई का बना देंते हैं ये दुनिया वाले
गिरते हुए को और भी गिरातें हैं ये दुनिया वाले
हर कमजोरी पर हमारे हँसतें हैं ये दुनिया वाले
हँसतें हैं गर हम तो, हमें रुलातें हैं ये दुनिया वाले
दूर रहना चाहो तो पास बुलातें हैं ये दुनिया वाले
पास बैठों अगर तो दूर भगातें हैं ये दुनिया वाले
जी करके भी करें क्या अब हम इस दुनिया में
मरते ही यादों से भी पीछा छुड़ातें हैं ये दुनिया वाले||
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