गीतिका/ग़ज़ल

“गजल”

मापनी-2122,2122,212

ख्वाब आँखों में दिखा तो भा गया

मौसम बिना बादलों के आ गया

याद तेरी थी घिरी घर छा गई

नैन मेरे खुल गए तक ता  गया॥

खूब थी वो रात आ ढ़लने लगी

भोर का है कारवाँ चलता गया॥

लोग भी आकर मिले पादान पर

पर न थी रौनक गिला बढ़ता गया॥

एक दिन वह शाम जब ढलने लगी

दिख गया उनका महल कहता गया॥

क्या हुआ क्योंकर हुआ बदरंग यह

जो खिला था नूर क्यों गिरता गया॥

‘गौतम’ उमड़ कर जब चली है हवा

वक्त का है शोर उठ समता गया॥

महातम मिश्र ‘गौतम’ गोरखपुरी

*महातम मिश्र

शीर्षक- महातम मिश्रा के मन की आवाज जन्म तारीख- नौ दिसंबर उन्नीस सौ अट्ठावन जन्म भूमी- ग्राम- भरसी, गोरखपुर, उ.प्र. हाल- अहमदाबाद में भारत सरकार में सेवारत हूँ