देखो मम्मी मेढक बोला
देखो मम्मी मेढक बोला
आसमान मे बादल छाया
मेघ भी जोर से गरजा
डर के दीपू घर मे भागा
होता जब भी वर्षा जोर
दीपू करता घर मे शोर
आज नही है हमे पढना
स्कूल भी नही है जाना
गरम पकौडी मॉ बना दो
अपने हाथ से मुझे खिला दो
इस मौसम मे ये सिर्फ भाते है
गर्मी मे थोडा भी न खाते है
फिर क्यो देर लगाती हो
बनाने से क्यो कतराती हो
झम झम बरसा पानी
पेट हो गया खाली
कब से लेकर बैठा थाली
तु न करती हाली
मॉ बोली अभी लायी
नही करूँगी देरी
लेकर आयी मॉ पकौडी
झट दीपू को खिलायी।
निवेदिता चतुर्वेदी ‘निव्या’