भाई – बहिन के प्यार का प्रतीक : रक्षाबंधन
भाई – बहिन के प्यार का प्रतीक : रक्षाबंधन
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भारतीय पर्वों में सबसे प्रतिष्ठित पर्व रक्षाबंधन ही है | वैसे हमारे देश में हर दिन एक पर्व ही होता है, पर कुछ खाश अवसर एेसे भी हैं जो एक महापर्व के नाम से जाने जाते हैं | हमारी सभ्यता, हमारी संस्कृति दुनियां की सबसे श्रेष्ठ व प्रतिष्ठित, पावन – पवित्र और विश्वसनीय है | भारतीय परंपरा में विश्वास, प्रेम, पवित्रता व धर्म का प्रतीक रक्षाबंधन एक भाई और एक बहिन के प्यार का अटूट बंधन है |
रक्षाबंधन वह रक्षासूत्र है, जिसे एक बहिन अपने भाई की कलाई पर इस आशा और विश्वास के साथ बॉधती है कि वह हमेशा उसकी रक्षा करेगा व संकट की हर घडी में तत्काल मदद को आयेगा | इतिहास गवा है – भाई ने भी अपना फर्ज बखूबी निभाया है |
पुराणों में रक्षाबंधन का उल्लेख है, एक बार भगवान कृष्ण के हाथ में चोट लग गई तो वहॉ उपस्थित उनकी बहिन द्रौपदी ने उसी क्षण अपनी कंचुकी का किनारा फाड़ कर भगवान कृष्ण की कलाई पर बांध दिया | इसी रक्षासूत्र की लाज कृष्ण भगवान ने आजीवन द्रौपदी की इज्जत व प्राण रक्षा करके बचाई |
अगर मुगलशासन के समय की बात की जाये तो यह भी प्रसिद्ध कहानी है – जब मुगल सम्राट हुमायूं चित्तौड़ पर आक्रमण करने आगे बढा, तो राणा सांगा की बिधवा रानी कर्मवती ने हुमायूं को राखी भेजकर अपनी रक्षा का उससे वचन ले लिया | हुमायूं ने भी एक भाई का धर्म निभाते हुए वचन दिया और युध्द का ख्याल हमेशा – हमेशा के लिए अपने ह्रदय से निकाल दिया | हुमायूं ने कालांतर में राखी की लाज रखते हुए हमेशा चित्तौड़ की रक्षा के लिए बढे – बढे बादशाहों से युध्द किया |
रक्षाबंधन ऐसे ही न जाने कितने विश्वास के धागों से मिलकर बना है | यह पर्व आज भी पवित्र भाई – बहिन के प्यार का प्रतीक बना हुआ है और जब तक यह श्रृष्टि है, यह अनवरत बना रहेगा…. |
“भाई – बहिन के प्यार का पर्व है रक्षाबंधन,
जग सारा करता है इस प्यार का कोटि-कोटि अभिनन्दन |
रे भाई तोड़ मत देना, अपनी बहिन का विश्वास –
निज प्राण लुटाकर तू निभाना, दिया बहिन को वचन ||”
– मुकेश कुमार ऋषि वर्मा
गॉव रिहावली, डाक तारौली,
फतेहाबाद-आगरा 283111