लघु कथा – पिता
अज़ब सी बेचैनी के कारण उसकी नींद खुल गयी। वह उठ कर रसोईघर में गया और पानी पिया। फिर से बिस्तर में जाने से पहले वह बच्चों के कमरे में झांका तो देखा बच्चे उन्मुक्त, बेतरतीब, बेफ़िक्र सो रहे हैं।
यह देख उसे अपने बचपन के दिन याद आ गए जब वह सब भाई बहन इसी प्रकार बेफ़िक्र हो चैन से सोते थे। शायद पिता जी भी इसी प्रकार रातों को बेचैन हो उठते होंगे, क्योंकि वह भी तो अपने बच्चों के भविष्य के प्रति फ़िक्रमंद होते होंगे।
— विजय ‘विभोर’
27/07/2017