मरो – मरो परन्तु यों मरो
मरो – मरो परन्तु यों मरो कि मरना तुम्हारा
निज राष्ट्र के काम आये
मरना तुम्हारा सार्थक हो जाये
करो – करो कुछ ऐसा करो कि करना तुम्हारा
निज राष्ट्र को समृध्द बना जाये
करना तुम्हारा सार्थक हो जाये
लड़ो – लड़ो परन्तु यों लड़ो कि लड़ना तुम्हारा
निज राष्ट्र की रक्षा कर जाये
लड़ना तुम्हारा वीरता कहलाये
बनो – बनो कुछ ऐसा बनो कि बनना तुम्हारा
निज राष्ट्र का विकास हो जाये
बनना तुम्हारा सार्थक हो जाये
निभाओ – निभाओ कि निभाना तुम्हारा
निज राष्ट्र को समर्पित फर्ज कहलाये
निभाना तुम्हारी वफादारी बन जाये
मरो – मरो परन्तु यों मरो कि मरना तुम्हारा
निज राष्ट्र के काम आये
मरना तुम्हारा सार्थक हो जाये
— मुकेश कुमार ऋषि वर्मा
गॉव रिहावली, डाक तारौली गुर्जर,
फतेहाबाद-आगरा 283111