डीजे विथ चिलम और बोलो बम बम बम
सावन, बाबा भोले नाथ का महीना, बारिश का महीना, प्रेम का महीना. हर कोई बेसब्री से इंतजार करता है, रामकृपाल बाबू धान का बीया गिरवा दिए है, पिछले तीन महीने से बाबाधाम देवघर जाने का इंतजार कर रहे थे, पिंटुआ भी भउजी को लाने के लिए गौना कराने जाने वाला है।
मानसून का आगमन हो चुका है, इंद्रदेव पता न इसबार बारिश का मंत्रालय किसको दे दिए है पूरे जिला को चेरापूंजी बनाकर रख दिया है, उधर रामधनी महतो परेशान है कि ऐह बेर बारिश जम के होगा तो भैंसिया कहां बांधेंगे, तिरपाल खरीदना पड़ेगा, पिछला बेर उ रीगा चौक वाला दुकानदारबा ठग दिया था, तिरपाल दूईए महीना में गतर-गतर फट गया, अबकी बार सीतामढ़ी से लाएंगे मोटका तह वाला कम से कम चलेगा 6 महीना.
रामकृपाल बाबू माथा पकड़ के बईठे है, बाबाधाम भी जाना है, धान भी रोपवाना है, मजदूर मिल नहीं रहा सारा मजदूर दिल्ली, पंजाब, नोएडा भाग गया है, धान नहीं रोपाएगा तो पूरा साल केतना खरीद के खाएंगे,
बचबा मोहना की नई-नई शादी हुई है, वो ससुरा तो अभी काम धंधा छोड़के पत्नी फूलवंतिया मे लगा है, आजकल मोहना के दिमाग में तो फूलवंतिया का प्रेम कभी कुमार सानू तो कभी उदित नारायण के गानों से शुरू होकर अल्ताफ राजा तक ही रह जा रहा है, आज फिर बाबूजी गरमाए हुए है, सोकर उठे है पूरे खेत में राउंड लगाकर आ चुके है, मोहना के माई से पूछे की कहां है मोहना, सुत के उठल की ना, मां ने गर्दन झुलाते हुए ना में जवाब दिया है, बाबू जी ने मुखारविंद से ओजपूर्ण शब्दों को फेंकना शुरू किया है, जा रे ससुर के नाती मोहना, महा मउगा निकला रे तू, ई ससुरा तो बियाह के बाद से तो अउर मउग हो गया है, हम सोचे थे कि बियाह शादी करा देंगे तो रिस्पांसिबलिटी समझेगा, जईसन मोहना तईसने मेहरारू. इतना सब सुनते ही गैस चूल्हा का ताव कम कर के भाग के मोहना के मेहरारू दउर के जगाने आई है, हाथ में आलू भिंडी सब्जी का मसाला लगा हुआ है, अंचरा संभालती हुई मोहना को हिला डोला के जगा रही है
– ऐ जी उठिए न उधर बाबू जी दरवाजा पर के माटी खोद रहे हैं और आप घोड़ा बेच के सुत रहे है, मोहना के कान बाप की कर्कश ध्वनि के बीच सुमधुर ध्वनि का आगमन हुआ है, अचेतावस्था से सीधे रोमांटिकावस्था में आ गया है और कुमार सानू का गाना दे मारा है – “कितना हसीन चेहरा कितनी प्यारी आंखे”
मेहरारू पिनपिना के बोली है, धत तेरी के, पूरा दिन आप बउराएले रहते है, ईहो सब का कोई समय होता है कि आप पूरा दिन अध्यात्मिके मूड में रहते है, जाईए हम न बोलेंगे आप से. पिछले तीन महीना में पहिला बेर मेहरारू खिसियाई है, मोहना अब उठ के बईठ गया है।
उधऱ जटेसर बाबा अलगे परेशान है जबसे सुने है कि डी.एम साहेब खुद मोर्चा निकाल के खुले में शौच करने वाले को धड़पकड़ रहे हैं, तब से जटेसर बाबा तीन बजे भोरे में निपट लेते है, पूरा दिन निश्चिंत रहते है, पकड़ते रहो कब पकड़ोगे. कल फेकन बाबू ने रामकृपाल बाबू को समझाते हुए कहा था कि देखिए एक बेर खुले में शौच करते धराईएगा, पूरे गांव में नाक कट जाएगा, 1000 रूपिया फाईन इंपोर्टेंट नहीं है, इंपोर्टेंट है नाम, आज भी चमचमहा कुर्ता धोती पहिन के निकलते हैं तो केतना इज्जत मिलता है गांव समाज में, ई न देखते है, इसलिए शौचालय बनवाईए और इस्तेमाल कीजिए.
सावन के आगमन से पूरा खेत-खलिहान का रंग चटख गया है, बारिश की बूंदे हर कोने में पहुंच रही है, मेढ़क के टर्र-टर्र और झींगुड़ के झंकार से पूरा वातावरण अद्भुत संगीत से गुंजायमान है, रामकृपाल बाबू को धान रोपनी के लिए पड़ोस गांव से मजदूर मिल गया है, करियका छाता लिए खेत की मेड़ पर पहुंचे है, रोपनी चल रहा है, मजदूरों का अपना एक अलग सुर-ताल है, भोजपूरी गायक खेसारी लाल यादव के अश्लील गानों की धुन में मजदूर मदमस्त है. शायद इन गानों से रोपनी के लिए अलग इनर्जी मिल रही है।
रामकृपाल बाबू भी आज रोपनी से निपट गए है, बाबाधाम देवघर जाना है, अंतिम सोमवारी को जल चढ़ाने के लिए, मोहना को भी रोमांस के लिए उपयुक्त समय मिल गया है, पूरे गांव में आस्था का सैलाब उमड़ पड़ा है, जटेसर बाबू भी बाबाधाम से लौटेंगे तब ही शौचालय बनवाएंगे, तब तक डी.एम साहेब से छिप कर 3 बजे भोरबा में ही शौच से निपट जाएंगे, पिंटुआ भी पत्नी के संगे भगवा गमछा, गंजी, जंघिया सब खरीद लाया है, रामधनी महतो टेंसन में है कि घर छबबाए की बाबा धाम जाए, लेकिन पहिले घर को वरीयता दिया है, घर नहीं रहेगा तो भैंसिया कहां बांधेंगे, बाबा भोलेनाथ को यहीं से प्रणाम कर लिया है, अनिल बाबू भी बोल बम वाला ललका ड्रेस धारण करके तैयार है, आजतक माई बाबूजी को एक लोटा पानी उठा नहीं दिया, लेकिन हर साल भोले बाबा को जल चढ़ाने जाता है, पूरे गांव से टोली जा रही है, चिलम, गांजा से लैस पूरी टोली तैयार है, भगवा रंग में रंगा बमबम महादेव का जयकारा लग रहा है, रामनिहोरा शाह का डीजे और लौंडा नाच का भी व्यवस्था किया गया है, 15 गो साउंड बॉक्स और 10 ठो हॉरन लादा गया है पिकअप वैन पर, लग रहा है कि पूरा एकदम भोले बाबा को डीजे बजाकर जगाकर ही आएंगे, जैसे बिना डीजे के महादेव सुनते कहां है,
“ ए बाबा भतार मिली कहिया”, भांग द भोला के भकुआएल काहे बा भोला” जैसे उटपटांग भोजपुरी गाने डीजे पर बजने शुरू हो गए है,
खेसारी लाल, मसूरी लाल, उरीद लाल, केरईया लाल सबके गाने बज रहे है,
एक तो ये है कि हर साल सावन में सीजनली कितने टिनही गायक कुकुरमुत्तों की भांति उग जाते है, पहले गानें का भोजपूरी अश्लील वर्जन गाएंगे, फिर उसी में कुच्छेक शब्दों को चेंज कर भक्ति घोषित कर देंगे, यहां भी अश्लील भोजपूरी गानों का भक्ति वर्जन बजना शुरू हो गया है, यहीं से देवघर तक डीजे बजता जाएगा और जहां जहां काफिला ठहरेगा, वहां पर लौंडा नाच होगा, भोले कि कथित भक्ति में डूबे इन भक्तों द्वारा चिलम, गांजा चलेगा, काफिला निकल चुका है, चिलम के धुएं के बीच जयकारा भी लगा है बोलो बम बम बम.
मेरे महादेव इतने भोले है कि सबको अपनाते है, सांप को तो गर्दनी से टांग के रखते है, जिसे समाज बहिष्कृत कर दे उसे भी सीने से लगा रखते है.
— “उसे अमृत का है मोह क्या हँस के विष का वो प्याला पिए”
खैर छोड़िए दुनियादारी, चलिए हम-आप दूनो बोलते है एकबार, बम बम बम, लेकिन हमे महादेव का नाम लेने के लिए DJ, चिलम और लौंडा नाच की आवश्यकता नहीं है.
हर हर महादेव
– आनंद
सीतामढी, बिहार