कविता

प्यार के पंछी

प्यार के पंछी (बाल कविता)
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नन्हें – नन्हें प्यार के पंछी
लगते सबसे न्यारे पंछी |

फुदक – फुदक कर आते पंछी
जरा सी खटपट, फुर्र से उढ़ जाते पंछी |

चीं – चीं, चूं – चूं करते रहते पंछी
कभी पेड़ पर, कभी गगन में, एक जगह नहीं रहते पंछी |

छत पर दाना डालो, झट से आ जाते पंछी
डरते – डरते दाना चुंगते पंछी |

कुदरत के प्यारे – न्यारे पंछी
लाल – हरे, नीले – पीले बडे़ दुलारे पंछी |

नन्हें – नन्हें प्यार के पंछी
मानवी विकास की भेंट चढ़ रहे पंछी ||

– मुकेश कुमार ऋषि वर्मा
गॉव रिहावली, डाक तारौली गुर्जर,
फतेहाबाद-आगरा 283111

मुकेश कुमार ऋषि वर्मा

नाम - मुकेश कुमार ऋषि वर्मा एम.ए., आई.डी.जी. बाॅम्बे सहित अन्य 5 प्रमाणपत्रीय कोर्स पत्रकारिता- आर्यावर्त केसरी, एकलव्य मानव संदेश सदस्य- मीडिया फोरम आॅफ इंडिया सहित 4 अन्य सामाजिक संगठनों में सदस्य अभिनय- कई क्षेत्रीय फिल्मों व अलबमों में प्रकाशन- दो लघु काव्य पुस्तिकायें व देशभर में हजारों रचनायें प्रकाशित मुख्य आजीविका- कृषि, मजदूरी, कम्यूनिकेशन शाॅप पता- गाँव रिहावली, फतेहाबाद, आगरा-283111