राजनीति

‘जय श्री राम’ पर फतवा इस्लाम के बारे में क्या बताता हैं ?

विधानसभा के अंदर जदयू के एक मुस्लिम विधायक के द्वारा ‘जय श्री राम’ कहने के बाद उन पर इमाराते शरिया के मुफ़्ती द्वारा फतवा लगा दिया गया। इस्लाम दूसरे धर्मो का सम्मान करने को कहता है ! इस्लाम मोहब्बत और अमन का संदेश देता है। लेकिन हम जानना चाहते आलमेदिन से की क्या इस्लाम के नाम पर जो लोग क़त्ले आम करते हैं मां से बेटा, बहन से भाई, पिता से बेटा‚ पति से पत्नी को अलग करते हैं उन लोगों पर फतवा नही लगना चाहिए? हम हमले होने के बाद कहते है की यह आतंकवादी हमला इस्लाम के खिलाफ है और बिल्कुल मै भी कहता हूं की लोगो का खून बहाना इस्लाम को पसंद नहीं। आज तक हमारे समाज से आने वाले ऐसे लोग जो खून ख़राबा करते हैं इस्लाम को बदनाम करते हैं उनलोगों के खिलाफ फतवा क्यों नही लगता। आज इसी बहाने हम अपने आलमेदिन से उम्मीद करते हैं की उन लोगों को भी इस्लाम से फतवा लगा कर बेदखल किया जाएगा जो इस्लाम के नाम पर एक दूसरे का खून बहाते हैं। एक तरफ जहाँ हिंदुस्तान में कुछ कट्टरपंथी लोग ‘जय श्री राम’ का विरोध करते है, वही इस्लामिक देश अबु धाबी में राम-नाम गूँज रहा है ! अबु धाबी के शेख प्रिंस ने “जय श्री राम” कह मुरारी बापू का स्वागत किया। उनकी बेगम ने रामचरित मानस को सर पर उठाया। क्या अब उसके खिलाफ फतवा जारी करेगा कोई मौलाना ?
भारत में रामराज्य लाना और हालत यह हो गई है कि एक मुसलमान के राम नाम लेते ही उसे इस्लाम धर्म से बाहर कर दिया जाता है। आपकी प्रार्थना सभाओं में तो हिन्दू-मुसलमान साथ-साथ गाते थे रघुपति राघव राजा राम। अब क्या हो गया ? लोग गीता का श्लोक और कुरान की आयतें साथ-साथ दुहराते थे। अब क्या हो गया? जायसी, रसखान और कबीर की परंम्परा पर प्रहार करने वाले क्या ये नहीं जानते कि वे भारत की गंगा-जमुनी संस्कृति पर कुठाराघात कर रहे हैं। सोचिये ! जब राम और रहीम एक साथ रह हीं नहीं सकते, जैसा कि फतवा जारी करने वाले कह रहे हैं, तो भारत अखण्ड कैसे रह सकता है? क्या यह संविधान और धर्मनिरपेक्षता पर खतरा नहीं है? जो लोग वोट की राजनीति के नाम पर जय संविधान का नारा देते हैं उनसे हर गली में पूछा जाना चाहिए कि जब संविधान सभा में विचार विमर्श कर वन्देमातरम को राष्ट्रगान के रूप में स्वीकार किया गया तो इसमें मजहब कहाँ से आ गया? और अगर मजहब आ गया तो धर्मनिरपेक्षता का क्या होगा ?

आज मुझे यह व्यक्तिगत रूप से बहुत बुरा लग रहा है कि एक जदयू के मुस्लिम नेता ने ‘जय श्री राम’ का नारा लगाया और उसे मांफी मांगनी पड़ी है। जो व्यक्ति भी हिन्दू-मुस्लिम एकता की बात करते है उनके मुंह पर यह घटना एक जोरदार तमाचा है। मैं हमेशा से विरोध करता हूं कि राजनीति में धर्म का प्रयोग हो। व्यक्ति जब ‘जय श्री राम’ के नाम का प्रयोग किसी विशेष समुदाय या दल को प्रसन्न करने के लिए करे तो यह सबसे घटिया किस्म की राजनीति है। परंतु यदि किसी व्यक्ति ने ‘जय श्री राम’ के नाम का नारा लगा भी दिया तो यह बहुत बड़ा जुर्म नही है? यह अपशब्द नही है? गाली नही है? बल्कि करोड़ो हिन्दू समुदाय के आराध्य देवता का नाम है।

देवेन्द्रराज सुथार

देवेन्द्रराज सुथार , अध्ययन -कला संकाय में द्वितीय वर्ष, रचनाएं - विभिन्न हिन्दी पत्र-पत्रिकाओं में प्रकाशित। पता - गांधी चौक, आतमणावास, बागरा, जिला-जालोर, राजस्थान। पिन कोड - 343025 मोबाईल नंबर - 8101777196 ईमेल - [email protected]