सच्चा जीवन साथी
गुड मोर्निंग माई स्वीट हार्ट लीजिए गरमा गर्म सूप और टोस्ट का लुत्फ़ उठाइए ” चंदर ने ट्रे मेज पर रखते हुए कहा | शुक्रिया चंद्र आप मेरे लिए कितनी तकलीफ उठा रहे हैं “चंद्र को प्यार और आदर से निहारते हुए चांदनी की आँखों में मोती चमक उठे |
अरे ये क्या जानू इन प्यारी आँखों में आंसू अच्छे नहीं लगते ऊं.. हूँ ” चांदनी की आँखों से आंसू पोछते हुए चंद्र बोला| जितनी तकलीफ तुमने हमारे बच्चे को जन्म देते वकत सही है जितना ख्याल तुम हर वक्त मेरा रखती हो पत्नी होने का हर फर्ज़ बाखूबी निभाती हो चांदनी.. उसके सामने तो मेरी ये छोटी सी कोशिश कुछ भी नहीं और ये मेरे लिए कोई तकलीफ नहीं ये तो तुमारे प्रति मेरा फ़र्ज़ है | इन बातो को सुन कर चांदनी के दिल में अपने पति का सन्मान और भी बढ़ गया | ” अरे ये लो जी… हमारा शहजादा भी उठ गया उसको बाँहों में लेते हुए ” अरे रे रे हम पहले आपके कपडे बदलेंगे ..फिर आपको भूख भी लगी होगी न है ना |” बच्चे के कपडे बदल कर चांदनी की गोद में लिटाते हुए ” ये आ गया आपका शहजादा अब आप दोनों माँ बेटा बाते करो मैं ज़रा किचन में काम ख़तम कर लूँ |”
गाना गुनगुनाते हुए दाल को तड़का लगाने के लिए प्याज़ काटने लगा तबी दरवाज़े पर दस्तक हुई देखा तो सामने उसका दोस्त रवी खड़ा है | हैलो रवी ! कैसे हो भाई आज कैसे रास्ता भूल गए ..आयो आयो .. अन्दर आयो” चंद्र ने कहा | ” हैलो चंद्र मैं यहाँ से गुज़र रहा था तो सोचा तुमे पापा बनने की बधाई देता चलूं “रवी ने अन्दर आते हुए कहा | फिर बोला ” मेरी और से पापा बनने की बहुत बहुत बधाई तुमे |” शुक्रिया कहते हुए चंद्र बोला ” दोस्त बैठो दाल को तड़का लगाने वाला था , अब अच्छी सी चाय बना कर लाता हूँ फिर तुमको शहजादे से भी मिलवाएँगे और बैठ कर गपशप भी मारेगें |” हैरानी से रवी बोला ” क्या ! तुम किचन में काम कर रहे हो ? भाभी जी कहाँ हैं तुम भी क्या औरतो वाले काम कर रहे हो, मर्दों को ये घर के काम शोभा नहीं देते” रवी ने मजाक उड़ाया |
क्यों भाई घर का काम करने में क्या बुराई है ? चंद्र ने पूछा और फिर बोला ” बेबी की डिलीवरी ओपरेशन के साथ हुई है जिस कारन तुमारी भाबी को बहुत कमजोरी है डाक्टर ने उसे आराम के लिए कहा है ..सुख दुःख में एक दुसरे का साथ देना, जीवन साथी इसी को तो कहते है,और शादी के वक्त दिए हुए वचन दिखावे के लिए नहीं होते निभाने के लिए होते है, मुशकिल घडी में पत्नी और बच्चे को अकेला छोड़ देने वाला और वचन तोड़ने वाला क्या खाक मर्द हुआ भला |
अब खोखली मर्दानगी के ढोल पीटने वाले रवि की नज़रें शर्म से झुक गई थी |