कविता

देश का ये हाल – बेहाल

मैं महसूस कर सकता हूं
अपने ह्रदय पर हाथ रखकर
कि तू कितनी रोई होगी… भारतमाता
अपने तीस सपूतों की मौत पर
तेरी छाती से दूध नहीं खून निकला होगा
तेरी आँखों से गंगा – जमुना सी धारा रूकी न होगी
और कभी रूक भी न पायेगी…. |

स्वतंत्रता दिवस के
महज चंद दिन पहले
यह काला खूनी दिवस बन गया….

शहीदों की कुर्बानी भ्रष्ट व्यवस्था की भेंट चढ़ गयी
सुभाष, भगत, वापू की आत्मा देखकर
देश का ये हाल – बेहाल
वहॉ…. रोती होगीं / तडफती होगीं
देखकर इस देश के भ्रष्ट – अय्याश
राजनेताओं की करतूतें
बार – बार पछताती होगीं…..

किस मुंह से गायेंगे –
भारत प्यारा देश हमारा /
मेरा भारत महान /
सारे जहाँ से अच्छा हिन्दुस्तान हमारा…

सुनलो ढोंगियों –
गूंगी – बहरी दिल्ली में
हमें मत दिखाओं
गणतंत्र दिवस – स्वतंत्रता दिवस पर
बडी – बडी तोफें, टैंक, मिसाईलें आदि – आदि |
इनसे देश का विकास होने वाला नहीं
और ना हीं चीन – पाकिस्तान ड़रने वाले हैं
कभी तुम्हारी हिम्मत ही नहीं हुई
इन सजावटी सामानों को देश की सीमा तक पहुंचाने की

देश की सुरक्षा के नाम पर तुमने…
मंत्रीजी तुमने किये हैं बडे – बडे घोटाले….
विकास के नाम पर की हैं सैकडों / हजारों विदेश यात्रायें
वे महज तुम्हारी पिकनिक हैं /
सैर – सपाटा हैं |

पन्द्रह अगस्त पर तुम्हारे शक्ति प्रदर्शन को देखकर
सारी दुनियां दॉतों तले उंगली दबा लेती है तो क्यों
वे शुअर हमारे देश के सैनिकों के सिर हमारे घर के अंदर से काटकर ले जाते हैं |

संसद में गुलछर्रे उडाना बंद करो
वर्ना सडक भी नसीब न होगी…
इतिहास गवा है –
इस देश के भोगी राजाओं की बजह से
हम शख, हूण, मुगल, अंग्रेज न जाने कितनों के गुलाम बने
कहीं हम वापिस तो नहीं लौट रहे….?

मुकेश कुमार ऋषि वर्मा

नाम - मुकेश कुमार ऋषि वर्मा एम.ए., आई.डी.जी. बाॅम्बे सहित अन्य 5 प्रमाणपत्रीय कोर्स पत्रकारिता- आर्यावर्त केसरी, एकलव्य मानव संदेश सदस्य- मीडिया फोरम आॅफ इंडिया सहित 4 अन्य सामाजिक संगठनों में सदस्य अभिनय- कई क्षेत्रीय फिल्मों व अलबमों में प्रकाशन- दो लघु काव्य पुस्तिकायें व देशभर में हजारों रचनायें प्रकाशित मुख्य आजीविका- कृषि, मजदूरी, कम्यूनिकेशन शाॅप पता- गाँव रिहावली, फतेहाबाद, आगरा-283111