दोहे
फैशन के इस दौर में, जली अनूठी आग
अधनंगा तन को लिये,बिटिया घूमे बाग !!
माँ को कहते माम अब,डैड बन गये बाप
अम्मा बापू क्या बुरा,खुदी बताओ आप !!
गंगाजल गंदा लगे, सभी पी रहे कोक
पूरब पर हाबी हुआ,पश्चिम वाला शौक !!
संस्कार नहीं याद अब,कैसे कैसे लोग
बहुत सताया बाप को,थोड़ा तू भी भोग !!
बेख़बर देहलवी
महासचिव
अखिल भारतीय साहित्य उत्थान परिषद्