दोहे
घर घर जा माँगे भीख, भीख मिले या मान
मान भरे ना पेट को, भीख पेट की शान।
आधी मटकी हाथ में, आधी करे सवाल
आँधी आफत छोड़ दे, आँधी देत बवाल।
मीठी बोली बोल के, वचन निभाये आज
कैसे मानव हो लिये, सवाल जग में आज।
पंछी उड़े हैं नभ में, नभ सारा आजाद
अज़ादी के ताल पर, लगे हमें है नाद।
पानी पानी कह रहा, पानी मिला न पास
भटका घर घर देहरी, पानी दिया न आस।