लाल कला मंच की काव्य गोष्ठी
नई दिल्ली। 71 वें स्वतंत्रता दिवस के पूर्व संध्या पर लाल कला मंच,नई दिल्ली की ओर से एक ओज कव्य गोष्ठी का आयोजन वरिष्ठ समाजसेवी डा. बी.बी. सिंह की अध्यक्षता में मीठापुर चौक पर संपन्न हुआ। काव्य गोष्ठी की शुरुआत मंच के अध्यक्ष सोनू गुप्ता एंव समाजसेवी का. जगदीश चंद्र शर्मा तथा डा.बी.बी. सिंह के दीप प्रज्जवलन से हुआ। इसके बाद इसे आगे बढ़ाया संस्था के संस्थापक सचिव लाल बिहारी लाल ने लघु सरस्वति वंदना से ऐसा माँ वर दे ,विद्या के संग.संग सुख समृद्धि से सबको भर दे। इसे आगे बढाया युवा कवि सिद्धांत कुमार ने अपनी कविताओं से। जय प्रकाश गौतम ने कहा-
कभी तो याद हमको भी कर लो जमाने में।
नहीं पिछे हटे हम वतन पे जां लुटाने में।।
के.पी. सिंह कुंवर, मास्टर नानक चंद ने ओज की कवितायें पढ़ी। असलम जावेद ने कहा कि-
यह बता दे कोई जाकर चीनो पाकिस्तान को।
आंख उठाकर देख ना ले मेरे हिंदुस्तान को ।।
रवि शंकर,कृपा शंकर तथा गिरीराग गिरीश ने भी अपनी बात ओज पूर्ण तरीके से रखी। । लाल बिहारी लाल ने कहा कि-
मेरा हिन्दुस्तान से रिश्ता । जिस्म का जैसे जान से रिश्ता।। सुरेश मिश्र ने देश में स्वतंत्रत्रता की अभिब्यक्ति पर तंज कसा तो काजल चौबे ने अपनी बात कविता के माध्यम से समसायमयिक सैनिको के हालात पर कही। वही संचालन कर रहे शिव प्रभाकर ओझा ने भी देश में हो रहे विभिनिन वर्गों ,जाति ,धर्मों में हो रहो भेद भाव को मिटाने की बात पर बल देते हुए कहा कि-इच्छा सबकी बढ़ रही है,सोंच घटती जा रही है। वही धुरेन्ध्रर राय ने लाल बिहारी लाल की प्रसिद्ध रचना कण-कण में महके चंदन सुना कर सबका मन मोह लिय़ा।
इस अवसर पर का.जगदीश शर्मा ने कहा कि आजादी सही मायने में तभी संभव हो जब सम्पूर्ण समाज भयमुक्त होकर एक साथ रहे। वही अध्यक्षता कर रहे ड़ा.बी.बी. सिंह ने कहा कि सभी को एक साथ लेकर चलने का नाम ही भारत है। यह आज भी भारत के विकास के लिए जरुरी है।
इस अवसर पर समाजसेवी लोकनाथ शुक्ला,राजेन्द्र अग्रवाल,मलखान सैफी, अशोक कुमार,राजेन्द्र प्रसाद आदि मौयूद थे। अंत में संस्था के अध्यक्ष सोनू गुप्ता ने आये हुए सभी कवियों एंव आगन्तुकों को 71 वें स्वतंत्रता दिवस की हार्दिक शुभकामनाओं के साथ धन्यवाद दिया।