सामाजिक

चोटी के साथ नाक भी कट गयी!!

कई राज्यों में महिलाओं की चोटी कटने की घटना से सभी सकते में हैं ऐसे में शासन से लेकर प्रशासन तक इसका सच जानने की कोशिश में, तो आमजन भयभीत सा नजर आ रहा है- किसी ने अपने घर के आगे गोबर व मेहँदी के थापे लगाने शुरू कर दिए तो कहीं पूरा गांव मंदिर और तांत्रिकों व झाड़फूंक वाले बाबाओं की गिरफ्त में आ रहा है। बचाव के लिए लोग तरह-तरह के धार्मिक प्रपंच कर रहे हैं। उत्तरी भारत के हरियाणा और राजस्थान की 50 से अधिक महिलाओं ने शिकायत की है कि किसी ने उन्हें बेहोश कर रहस्यमयी तरीके से उनके बाल काट लिए। इस रहस्य को सुलझाने में पुलिस अब तक नाकाम रही है जबकि इन राज्यों की महिलाएं इससे डरी हुई और चिंतित हैं।

खबर ही ऐसी है कि हर कोई सकते में आ जाये। रहस्य तब और गहरा जाता है जब यह पूछा जाता है कि किसी ने कथित हमलावर को देखा है क्या? शुरूआती घटनाओं में पीड़ित कहो या चोटी कटी महिलाएं किसी भी हमलावर की पहचान बताने में असफल रही किन्तु जैसे-जैसे घटनाओं के सिलसिले ने रफ्तार पकड़ी अब कोई बिल्ली जैसी दिखने वाली और कोई पीले कपड़ों में इंसानी आकृति की पहचान आगे रख उपरोक्त मामलों को सत्य घटनाओं की ओर मोड़ते दिख रहे हैं। दरअसल इस ‘‘काल्पनिक नाई’’ की पहली खबर जुलाई में राजस्थान से आई थी, लेकिन अब इस तरह की खबरें हरियाणा और यहां तक कि राजधानी दिल्ली से भी आने लगी हैं।

चोटी कटने की इन घटनाओं को लेकर अफवाह और व्यंग का बाजार गर्म है मीडिया इसे सनसनी के तौर पर पेश  कर अफवाहों की आग में पेट्रोल छिड़कने का कार्य सा करती दिख रही है। तमाम तरह के डरावने साउंड के साथ खबर को पानी पी-पीकर परोसा जा रहा है। घटना में पीड़ित एक महिला का कहना है कि चोटी कटने से पहले उसके सिर में तेज दर्द हुआ और वह बिस्तर पर बेसुध हो गई। होश आने पर उसने देखा कि उसकी चोटी कटी हुई है। सभी मामलों में पीड़ित महिलाएं या तो घर पर अकेली थी, कोई खेत में अकेली थी- कोई भी एक घटना ऐसी नहीं है कि जिसमें कथित पीड़िता के अलावा मौके पर कोई दूसरा गवाह रहा हो।

रेवाड़ी के जोनवासा गांव की 28 वर्षीय रीना देवी ने कहा कि उन पर गुरुवार को हमला हुआ और इस बार हमलावर एक बिल्ली थी। उन्होंने कहा, मैं अपना काम कर रही थी तभी मैंने एक बड़ी आकृति देखी, यह बिल्ली के जैसी थी- तब मैंने महसूस किया कि किसी ने मेरे कंधे को छुआ और ये ही आखिरी बात मुझे याद है। वह मानती है कि उनकी कहानी पर विश्वास करना मुश्किल है। वह आगे कहती हैं, मैं जानती हूं कि ये असंभव सा लगता है- लेकिन मैंने यही देखा- कुछ लोग कहते हैं कि मैंने खुद अपने बाल काट लिए हैं। लेकिन मैं ऐसा क्यों करूंगी? लगभग सभी घटनाएँ इसी तरह की हैं किसी की चोटी बाथरूम में कटी मिली तो किसी की छत पर हर एक दावा इसी तर्क के सहारे सामने रखा जा रहा कि में ऐसा क्यों करूंगी?

राज्य दर राज्य घटनाओं में बढ़ोतरी हो रही है प्रशासन इन मामलों में यही कहता मिल रहा है कि ये विचित्र घटनाएं हैं। हमें वारदात की जगह पर कोई सुराग नहीं मिल रहे, हो सकता है इस अपराध में कोई संगठित गिरोह शामिल हो- हालाँकि कई लोगों का यह भी मानना है कि तांत्रिक या तथाकथित ओझा इन हमलों के पीछे हैं क्योंकि इस तरह के मामलों में लोग उनके पास इलाज के लिए पहुंचते हैं, जबकि कुछ लोग तो इसके पीछे अलौकिक शक्तियों का हाथ बताने में भी पीछे नहीं हट रहे हैं।

कई लोगों ने इन घटनाओं पर मेरी राय जाननी चाही तो मैं सिर्फ इतना ही कहूंगा कि 21वीं सदी जिसे आधुनिक सदी भी कहा जा रहा है लेकिन भारत में इस तरह की घटनाओं का होना शर्मनाक है। यहाँ झूठ और अफवाहों के पांव सरपट दौड़ते हैं पिछले साल बाजार में नमक की कमी की अफवाह के कारण थोड़ी ही देर में नमक तीन सौ रुपये किलो तक बिक गया था। इसी प्रकार 2006 में हजारों लोग मुंबई के एक समुद्री तट पर यह सुनकर पहुंचने लगे थे कि वहां आश्चर्यजनक रूप से समुद्र का पानी मीठा हो गया है। साल 2001 में मंकी मैन काला बन्दर की जमकर अफवाह फैली थी। दिल्ली में सैकड़ों लोगों पर मंकी मैन ने कथित रूप से हमला किया। घायल लोग भी सामने आये लेकिन बाद में आई रिपोर्ट के मुताबिक यह जन भ्रामक मामला साबित हुआ।

इसी तरह 90 के मध्य में दुनिया भर के लाखों लोगों के बीच यह खबर फैली हुई थी कि एक भगवान की एक मूर्ति दूध पी रही है। 1995 में भगवान गणेश की मूर्ति के चम्मच से दूध पीने की खबर समूचे देश में फैल गई थी। हालाँकि मनोचिकित्सक इसे ‘‘मासहिस्टीरिया’’ या ‘‘जन भ्रम का रोग’’ मानते हैं। इन घटनाओं में पीड़ित होने वाली महिला निश्चित तौर पर किसी आंतरिक मनोवैज्ञानिक द्वंद से जूझ रही होगी। जब वह इस तरह की घटनाओं के बारे में सुनती हैं। तो खुद पर ऐसा होते हुए सा अहसास करती हैं, ऐसा कभी-कभी अवचेतनावस्था में भी होता है। समाज के जिम्मेदार लोगों को ऐसे मामलों की तह तक जाना चाहिए लोगों से अफवाहों में यकीन नहीं करने की अपील करनी चाहिए क्योंकि इन अफवाहों से देश की आधुनिक शिक्षा, ज्ञान, धर्म व सामाजिक समझदारी पर भी सवाल उठकर चोटी के साथ देश की नाक भी कटती है।

 

राजीव चौधरी

स्वतन्त्र लेखन के साथ उपन्यास लिखना, दैनिक जागरण, नवभारत टाइम्स के लिए ब्लॉग लिखना