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कब रुकेंगी ट्रेन दुर्घटनाएं!

सोशल मीडिया पर रविवार को मुजफ्फरनगर ट्रेन हादसे के बाद तेजी से फैली दो रेलवे कर्मचारियों की टेलीफोन पर हुई बातचीत में शनिवार को उत्तर प्रदेश में हुई ट्रेन दुर्घटना में ‘लापरवाही’ के संकेत मिले हैं. इस क्लिप में एक रेलवे कर्मचारी को स्पष्ट रूप से यह कहते सुना जा रहा है, “रेलवे ट्रैक के एक भाग पर वेल्डिंग का काम चल रहा था. लेकिन मजदूरों ने ट्रैक के टुकड़े को जोड़ा नहीं और इसे ढीला छोड़ दिया. क्रासिंग के पास गेट बंद था. ट्रैक का एक टुकड़ा लगाया नहीं जा सका था और जब उत्कल एक्सप्रेस पहुंची तो इसके 14 कोच पटरी से उतर गए.”
ऑडियो क्लिप में उसे यह कहते सुना जा रहा है, “जिस लाइन पर काम चल रहा था, न तो उसे ठीक किया गया और न ही कोई झंडा या साइनबोर्ड (रोकने के संकेत के तौर पर) लगाया गया. यह दुर्घटना लापरवाही की वजह से हुई. ऐसा लगता है कि सभी (संबंधित कर्मचारी) निलंबित होंगे.” इस पर दूसरे ने जवाब दिया दिया कि जूनियर इंजीनियर व दूसरे अधिकारियों सहित सभी के खिलाफ कार्रवाई की संभावना है. दोनों एक दूसरे से यह भी बताते हैं कि मजदूरों ने अपना काम समाप्त करने के बाद कुछ उपकरण ट्रैक के बीच में छोड़ दिया था. कम से कम वे मशीन को हटा सकते थे और एक लाल झंडा वहां लगा सकते थे, रेलवे बोर्ड के अधिकारी मोहम्मद जमशेद ने संवाददाताओं से कहा, “हमें मीडिया से दो रेलवे कर्मचारियों के बीच बातचीत का पता चला है. इसमें कहा गया है कि ट्रेन के पटरी से उतरने की घटना लापरवाही की वजह से हुई. हम क्लिप की प्रमाणिकता की जांच करेंगे.”
इस पर खतौली स्‍टेशन के सुपरिटेंडेंट राजेंद्र सिंह ने कहा कि हमको किसी ट्रैक रिपेयर की जानकारी नहीं थी. अगर कोई रिपेयर का काम होगा तो वो इंजीनियरिंग विभाग को पता होगा, हमको जानकारी नहीं थी. हमारी ओर से कोई गलती नहीं हुई, कोई सिग्‍नल गलत नहीं दिया गया. इसके उलट मुजफ्फरनगर इंजीनियरिंग विभाग का कहना है कि ट्रैक पर निश्चित रूप से काम चल रहा था. स्टेशन को बताया गया था कि ट्रैक असुरक्षित है. Blued जॉइंट की प्लेट क्रैक थी. उसको ठीक करने के लिए 20 मिनट का ब्लॉक मांगा गया था यानी 20 मिनट तक कोई ट्रेन वहां से ना गुज़रे ये मांग की गई थी. यह दो जिम्मेदार लोगों के बीच संवादहीनता की स्थिति भी हो सकती है या एक दूसरे पर आरोप मढ़ने की कोशिश. जांच में सबकुछ अवश्य स्पष्ट होने चाहिए.  रेल मंत्री सुरेश प्रभु ने ट्रेन हादसे की जांच के आदेश दिए हैं. रविवार २० अगस्त की शाम तक प्राप्त समाचार के अनुसार इस हादसे में रेलवे के कई कर्मचारियों, अधि‍कारियों पर गाज गिरी है. उत्तर रेलवे ने सीनियर डिविजनल इंजीनियर और उनके मातहत काम करने वाले तीन कर्मचारियों को सस्पेंड कर दिया है. शुरुआती जांच के बाद नॉर्दन रेलवे के जनरल मैनेजर ने जिन कर्मचारियों को सस्पेंड किया है, उनमें दिल्ली डिवीजन के सीनियर डिविजनल रेलवे इंजीनियर आरके वर्मा, दिल्ली डिवीजन मेरठ के असिस्टेंट इंजीनियर रोहित कुमार, मुजफ्फरनगर के सीनियर सेक्शन इंजीनियर इंदरजीत सिंह और खतौली के जूनियर इंजीनियर प्रदीप कुमार शामिल हैं.  इनके अलावा उत्तर रेलवे के चीफ ट्रैक इंजीनियर का ट्रांसफर कर दिया गया है. डीआरएम दिल्ली और जीएम उत्तर रेलवे को छुट्टी पर भेज दिया गया है. इसी तरह रेलवे बोर्ड के सदस्य, इंजीनियरिंग को भी छुट्टी पर भेज दिया गया है.

मोदी सरकार आने के बाद से यह 8 वां बड़ा ट्रेन हादसा है. इस दुर्घटना के साथ ही रेलवे सुरक्षा को लेकर एक बार फिर से बड़े सवाल खड़े हो गए हैं.
1- मुजफ्फनगर में ट्रेन पटरी से उतरी : खतौली के पास हुई दुर्घटना में अब तक 32 लोगों के मारे जाने की खबर है जबकि 200 यात्री घायल हैं. पहले इस घटना के पीछे आतंकी साजिश की आशंका जताई जा रही थी. लेकिन चश्मदीदों के मुताबिक यह रेलवे विभाग की लापरवाही का नतीजा है. फिलहाल इस मामले में जांच रिपोर्ट आने के बाद ही कुछ साफ तौर पर कहा जा सकेगा.
2- पुखरायां के पास हुई दुर्घटना : पिछले साल 20 नवंबर को कानपुर के पास पुखरायां में रेल हादसा हुआ था जिसमें 150 लोगों की मौत हो गई थी और 200 घायल हुए थे.
3- भदोही ट्रेन दुर्घटना : पिछले साल 25 जुलाई को भदोही में मडुआडीह-इलाहाबाद पैसेंजर ट्रेन से एक स्कूल वैन टकरा गई थी जिसमें 7 बच्चों की जान चली गई थी.
4- बछरावां रेल हादसा : 20 मार्च 2015 को देहरादून से वाराणसी जा रही जनता एक्सप्रेस पटरी से उतर गई थी. इस दुर्घटना में 34 लोग मारे गए थे.  यह घटना बछरावां रेलवे स्टेशन से थोड़ी दूर पर हुआ थी.
5- मुरी एक्सप्रेस हुई हादसे का शिकार : साल 2015 में कौशांबी जिले के सिराथू रेलवे स्टेशन के पास मुरी एक्सप्रेस दुर्घटना का शिकार हो गई थी. इसमें 25 यात्री मारे गए थे और 300 घायल हो गए थे.
6- 10 मिनट के अंदर दो हादसे : साल 2015 में मध्य प्रदेश के हरदा के पास 10 मिनट के अंदर दो ट्रेनें दुर्घटनाग्रस्त हो गईं. इटारसी-मुंबई रेलवे ट्रैक पर  मुंबई-वाराणसी कामायनी एक्सप्रेस और पटना-मुंबई जनता एक्सप्रेस पटरी से उतर गईं. पटरी धंसने से यह हादसा हुआ था. इस  दुर्घटना में 31 मौतें हुई थीं.
7- गोरखधाम एक्सप्रेस भी हुई हादसे का शिकार : 26 मई 2014 को संत कबीर नगर के चुरेन रेलवे स्टेशन के पास गोरखधाम एक्सप्रेस और मालगाड़ी में भिड़ंत हुई थी. इस दुर्घटना में 22 लोगों की मौत हुई थी.
8- रायगढ़ में पटरी से उतरीं बोगियां : 2014 में महाराष्ट्र के रायगढ़ जिले में ट्रेन का इंजन और 6 डिब्बे पटरी से उतर गए थे. इस हादसे में 20 लोगों की मौत हुई थी और 124 घायल हो गए थे.
ऐसे में हाल के वर्षों में बढ़े ट्रेन हादसों के बाद रेल सफर को लेकर मन में उठने लगे ये सवाल… ऐसी दुर्घटनाएं हो क्यों रही: 
ऐसे में लगता है कि क्या रेलवे ने यह मान लिया है कि ऐसी घटनाओं को रोका नहीं जा सकता? अगर नहीं, तो क्या वजह है कि अचानक ऐसी घटनाओं की संख्या बढ़ गई है? सवाल सिर्फ एक एक्सीडेंट का नहीं है, सवाल है कि ऐसी दुर्घटनाएं हो क्यों रही हैं? कभी सबसे योग्य विभागों में गिना जाने वाला रेलवे अचानक अयोग्य से क्यों लगने लगा? अब बहस इस पर नहीं होनी चाहिए कि दुर्घटना हुई कैसे? अब चर्चा इस पर होनी चाहिए कि आखिर रेल दुर्घटनाएं रुकेंगी कब और कैसे? हैरानी की बात है कि ट्विटर पर इतना एक्टिव यह डिपार्टमेंट अक्सर इंफ्रास्ट्रक्चर और मेंटेनेंस के नाम पर धन की कमी का रोना रोता है। उत्कल एक्सप्रेस हादसे’ सहित पिछले पांच सालों में देश में 586 रेल दुर्घटनाएं चुकी हैं. आधिकारिक आंकड़ों के मुताबिक, इन 586 रेल हादसों में से करीब 53 फीसदी घटनाएं ट्रेन के पटरी से उतरने के कारण हुई हैं.

हम बुलेट ट्रेन का सपना देख रहे हैं. उस दिशा में काम भी हो रहा है. सोचिये अगर हमारी रेल ट्रैक्स का यही हाल रहा तो किसी सफल होगी बुलेट ट्रेन की सेवा. अधिकांश लोगों का मानना है कि पहले जो ट्रेने चल रही हैं वही सही समय पर और सुरक्षित चलें. उनमे बद इन्तजामी को दूर किया जाय. सफाई व्यवस्था, भोजन और रख-रखाव की सुविधा चुस्त दुरुस्त हों. रेलवे के कर्मचारी और अधिकारी अपनी जिम्मेदारी समझें. रेल मंत्री इस्तीफ़ा न भी दें तो आगे की कार्रवाई को और बेहतर बनायें. इतनी अपेक्षा तो होती है ताकि रेल यात्री जो उचित किराया देकर रेल में सफ़र करते हैं, अपनी मंजिल पर सुरक्षित पहुँच सकें. दुर्घटनाओं, हादसों से सबक लेते हुए सुरक्षा नियमों का पूर्णतया पालन आवश्यक है ताकि आगे किसी भी घटना/दुर्घटना को रोका जा सके.

  • जवाहर लाल सिंह, जमशेदपुर.

2 thoughts on “कब रुकेंगी ट्रेन दुर्घटनाएं!

  • हम कितना भी होशियारी से कार्य करें ऐसी दुर्घटना को रोक नहीं सकते हाँ टाल सकते हैं सतर्कतापूर्वक कार्य करके। हाँ आपका सोच सही एवं सार्थक है कि यह दुर्घटना कबतक होती रहेगी। शायद कम होगी तब जब हर कर्मचारी अपने कर्तव्य का निर्वहन ईमानदारी पूर्वक करेंगे। कहीं न कहीं कर्मचारियों की भूल है। हादसा होता लेकिन इतनी क्षती नहीं होती। सार्थक लेख आदरणीय।

  • नंदिता तनुजा

    GAHAN VICHAAR SIR…!!

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