झमझमा – झम बरसे पानी
झमझमा – झम बरसे पानी
कहता अपनी अमर कहानी |
कहीं बाढ़ है तो कहीं है सूखा
अमृत – जहर दोनों बन जाता
ठोस, दृव्य, गैस के रूप दिखाता |
तरह – तरह के रंग – रूप बना कर
कभी ड़राता, कभी हंसाता
सीमा तोड़े तो मौत बांटता |
है धरा पर सौगात पानी
कहता अपनी अमर कहानी |
जीव – जंतु, पेड़ – पौधे जिंदा इससे
इसे बचाओ सब जन मिलकर
बर्बाद न करो व्यर्थ बहाकर |
पेड़ लगाओ, पानी बचाओ
प्रकृति मित्र सब बन जाओ
धरती को सुंदर स्वर्ग बनाओ |
झमझमा – झम बरसे पानी
कहता अपनी अमर कहानी ||