कविता
बाधाएँ तो आती रहेंगी राह में
कमी मगर न होने देना चाह में
उन्नति का पथ मिलता सभी को
सीढ़ियाँ सफलता की चढ़ोगे कभी तो
चाहे कठिन हो जिंदगी का सफर
हो उलझनों से भरी यह डगर
हौसलों की उड़ान भरते रहो
कदम दर कदम बढ़ते रहो
दिन वह दूर नहीं होगा तब
चाँद तारे भी होंगे तेरे जब
देह मनुज की पाई है तुमने
फिर आशा की लौ क्यूँ बुझाई है तुमने !
— डॉ सोनिया गुप्ता