प्रकृति का यौवन
द्रुम की डालियाँ
काले घुंघराले कुंतल है
जलमाला का कलकल जल
रसबिम्ब है जिसके
झील-सी लोचन
बहता शीतल झरना
जिसके माथे का सिंदूर है
अचल-सी छाती है
हिम-सी हसीन वादियां
खुला नील-सा सारंग
देखकर लगता है
प्रकृति किसी नवमल्लिका की भांति
यौवन दिखा रही है
जिसकी चेहरे की लालिमा
स्वर देकर बुला रही है ….