चोट
“ये क्या कर रहे हो दोनों बरसात में ? भीगकर बीमार पड़ जाओगे?”
“दादी, रेन कोट पहने हैं हम दोंनो, भीगेंगे नहीं | ”
“इस बूंदाबांदी में भी कोई वृक्ष की जड़ों में पानी डालता हैं क्या ?” पेड़ के पास उन्हें झुके हुए देखकर बोलीं |
“जल्दी आओ अन्दर नहीं तुम्हारे पापा-मम्मी मुझको डांटेंगे|”
“नहीं दादी , वृक्ष को पानी नहीं दे रहे थे, बल्कि बिल्ली मौसी को पानी पिला रहे थे| ”
“बिल्ली पी रही थी !!”
“नहीं, वो भी पानी देखते ही भाग गई| फिर पेड़ के पास अपने पंजो से मिट्टी खोदने लगी | शायद उसे भी पता कि पेड़ को पानी की जरूरत होती है|”
“पर बच्चों, वृक्ष बरसात से ही पानी इकट्ठा कर लेता है | पानी तो पौधों को यानि जो नन्हें-मुन्हें पेड़-पौधें होते हैं उनमें डालते है”
” क्यों दादी?”
“क्योंकि उन नन्हें पौधों को ही देखभाल और प्यार की जरूरत होती है| बिना पानी के वो खत्म हो जाएंगे। बड़े पेड़ो को देखभाल की कोई जरूरत नहीं होती है| जितने पुराने होते जाते हैं जमीन से पानी खींचने की उनकी शक्ति बढ़ती जाती है|”
“अच्छा ! मतलब हैं वैसे ही न!!”
सुनते ही दादी की ऑंखें नम हो गई.
— सविता मिश्रा