अभिनय
कितना जानदार अभिनय
ऐसा के कोई समझ न पाये
सच है या है कोई नाटक
पीड़ा छुपाकर मुस्कुराना
स्याह आँखों में काजल सजाना
नीले निशान चूड़ियों
और साडी में छुपाना
आभावों में भी सम्पूर्णता
भूखे पेट दिखाना पूर्णता
ताने सुन अनसुना करना
गरल को अमृत समझना
सलवटों भरी जिंदगी में भी
इत्मीनान से रहना
थक के चूर होने पर भी
ख़ुशी से चादर सा बिछ जाना
कौन कहता है अभिनय
सिर्फ कलाकार करते हैं!!!
रोजमर्रा की जिंदगी में भी
कितना जानदार, जीवंत
अभिनय करती हैं औरतें।
बढ़िया !