तुम मिलो ना मिलो मग्न संसार में
कौन जाने कि कल वक्त कैसा यहां
तुम मिलो ना मिलो मग्न संसार में,
चार पल की मिली ज़िंदगानी यहां
दो घड़ी का मिलन कोई सुंदर सपन
आस की साँस घूंघट में टूटे न अब
दो घड़ी ही सही प्रीत जी लो सजन ।।
आज सूरज जो लेकर गगन है चढ़ा
साँझ लेकर वो पल में निकल जायेगा
रात आई सुहानी लेकर सपने जवाँ
चाँद देकर मुहूरत पिघल ढल जायेगा
पास बैठो यूँ ही हाथ पर हाथ रख
कल ये अवसर भी करवट बदल जायेगा।।
एक सुंदर चमन सा जो सजाया यहां
फूल ही फूल आज जिसका श्रृंगार है
ये भी कब तक टिेकेंगे नष्ट संसार में
रूप यौवन की भी तो तयशुदा उम्र है
सृष्टि का हर नियम वक्त पर ही टिका
वक्त की कर रहे सब गुलामी सजन ।।
आज कह लो वो सारी कही अनकही
पल में मौसम ये ठग के निकल जायेगा
चाँद कब तक रहेगा यूँ खामोश अब
कब तलक गाएंगे ये तारे मंगल सजन
रीत बढ़कर निभा लो नयन डोर बंध,
मैं तो तेरी सजन, मैं हूँ तेरी सजन ।।
प्रियंवदा अवस्थी
सादर धन्यवाद सर
वाह वाह !