ढह गया बाबा का साम्राज्य
भारत एक बाबा प्रधान देश है। यहां बहुतायत में बाबा पाये जाते है। लगता है देश गांधीगिरी और गुंडागिरी और दादागिरी को छोड़ बाबागिरी पर चल रहा है। बाबागिरी के आगे देश का संविधान भी बौना लगता है। अंधभक्त को तो हरेक बाबा में भगवान दिखता है। लेकिन बाबा को हरेक खूबसूरत भक्त में हुस्न दिखता है। बाबा के दिल में कुछ-कुछ की जगह बहुत कुछ होता है। रात के सन्नाटे में ए वन एयर कंडीश्नर कमरे की चकाचौंध में बाबा के अलग अवतार के दर्शन होते है। बाबा भूखे भेंडिये की तरह शिकार पर टूट पड़ता है। शिकार चिल्लाता है। आवाजें दबा दी जाती है। बाबा पूरे मूड़ में अपना चरित्र उजागार करने को उतारु हो जाता है। बेबस साध्वी को अब बाबा चमत्कार (बलात्कार) दिखा चुका होता है। पूरी रात बाबा चमत्कार पर चमत्कार करता है। जिस्म के सौदागर डेरा सच्चा सौदा के प्रमुख गुरमीत राम रहीम सिंह के चमत्कार कांड को भक्त स्वर्णिम अक्षरों में लिखते है, जय जयकार होती है।
इस देश को गुलाम बनाने के लिए अब किसी सुदृढ़ रणनीति की आवश्यकता नही है। यहां एक बाबा के पीछे आंख मूंदकर संविधान भी चलता और संविधान के साहूकार भी। बाबा के चरित्र पर अंगुली उठाने वाले की अंगुली काट ली जाती है। बसें फूंक दी जाती है। भक्तजन आपा खोकर उपद्रव के आतंक को अंजाम देते है। कोर्ट डरता है बाबा के विरूद्ध फैसला लेने से। सरकार घबराती है बाबा के खिलाफ कोई भी ऑर्डर देने से। इसलिए पन्द्रह साल तक बाबा का कोई बाल भी बांका नहीं कर पाता। बाबा कभी एक्शन हीरो की तरह बाईक पर स्टंट करता है तो कभी समंदर की उफनती लहरों के बीच नाव चलाता है। फिल्मों का नायक बनता है तो नायिकाओं को आशीर्वाद भी देता है। ओर किसी नायिका पर बाबा का दिल आ जाये तो चमत्कार भी दिखाता है। बाबा आस्था का मुखौटा पहने धर्म के नाम पर स्वांग रचता जाता है। सुबह से लेकर शाम तक राम रहीम और शाम ढलते ही रोमियो के किरदार में बाबा घुस जाता है।
हजारों एकड़ में फैला बाबा का साम्राज्य किसी स्वर्ग से कम नहीं। कोई आम छोटा-मोटा बाबा थोड़ी न है। बहुत ही बड़ा चमत्कार दिखाने वाला बाबा राम रहीम है। और आखिरकार बाबा कोर्ट के कठघरे में हाथ जोड़कर खड़े होता है। बख्श देने की भीख मांगता है। कानून कब तक अपना मजाक सहन करता ! बाबा को दोषी करार दिया जाता है।
पाप का अन्त एक दिन जरुर होता है इसलिए आशाराम के बाद राम रहीम की बारी आई है।