दुःख ही औरत का मित्र
औरत की किस्मत में कितने गम है
पुरुष कहते यह तो बहुत कम है|
औरत की आँखे होती हमेशा नम
पुरुषों को नहीं होता इस पर कोई गम|
कहते है यह तो त्रिया चरित्र है
दुःख ही औरत का सच्चा मित्र है|
दुःख को सहती जाती रह अडिग
घर सुखमय रहे करती रहती गणित।
डिगा नहीं पाता कोई उसका पग
हिम्मत से बढाती हमेशा अपने डग।
कितना भी कर ले कोई सितम
नहीं मनाती कभी उसका मातम|
दुःख सह और भी परिपक्व हो जाती
ध्येय पर अपने खुद को अडिग ही पाती|| …||सविता मिश्रा ||