बाल कविता
प्यारी – प्यारी मेरी माँ
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प्यारी – प्यारी मेरी माँ
रोज भोर को मुझे जगाती
फिर नहलाती – खाना खिलाती
पकड़के उंगली स्कूल ले जाती ||
प्यारी – प्यारी मेरी माँ
रोज नियम से गार्डन घुमाती
टूटे – फूटे रस्तों पे गिरने से बचाती
रोज रात को कहानी सुनाती ||
प्यारी – प्यारी मेरी माँ
बड़े दुलार से होमवर्क कराती
पापा डांटें तो झट सीने से मुझे लगाती
लड्डू – पुड़ी – हलुवा फिर खिलाती ||
प्यारी – प्यारी मेरी माँ
अगर कभी चोट मुझको लग जाती
झट – पट मरहम लगाती
तब बहुत दुःखी हो जाती ||
प्यारी – प्यारी मेरी माँ…
मुकेश कुमार ऋषि वर्मा
गॉव रिहावली, डाक तारौली गुर्जर,
फतेहाबाद-आगरा, 283111