जब बरसात वाला मौसम और हल्की ठंड होगी
जब बरसात वाला मौसम और
हल्की ठंड होगी
तब ,तुम और मैं
ख़ाक छनेंगे ,रुख करेंगे
बक्सर की उन् तमाम इमारतों का
जहाँ हज़ारों कहानियाँ दफ़न हैं
किसी राजा किसी रानी की
जहाँ अब विरानापन जम गया हो
कुछ बोलने पर जहाँ आवाज़ गूंजती हो
जहाँ चुप रहने की हिदायत दी जाती हो
तुम वहाँ की दीवारों पर
जब कहानियां खोज रही होगी
मैं धीरे से – चुपके से
तुम्हारे करीब आकर
अपना हाथ
तुम्हारे कंधे पर झटके से रख
तुम्हें डरा दूँगा
और फिर तुम
जब झट से पलट
घबराकर ,डर से
मुझे कस के पकड़ लोगी
मैं राज
अपने होंठो को
तुम्हारे कान के करीब लाकर
कहूँगा ….. श्श्श्श्श् ! चुप
“ऐसे ही रहना ,
यहाँ आत्माएं रहती है”
-राज सिंह