लेख

सपनों का भारत

सपनों का भारत : सर्वधर्म समभाव की दृष्टि से
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सपनों का भारत ऐसा भारत जिसमें सिर्फ प्रेम हो – स्नेह हो, सम्मान हो, ऊंच – नीच का भेद न हो, मंदिर – मस्जिद का झगड़ा न हो | हिंदू – मुस्लिम, सिख – ईसाई, जैन, बौध्द, यहूदी सब एक साथ मिलकर एक स्वर में भारत माता का वंदन कर सकें और यह जरूरी नहीं कि सब हिंदू परम्परा के अनुसार ही वंदन करें | अपने धर्म, अपनी मान्यताओं के अनुसार भारत माता का वंदन किया जा सकता है | लेकिन हॉ राष्ट्रीय भाषा, गीत, नारा, पशु-पक्षी आदि का सम्मान तो सबको एक ही स्वर से करना चाहिए, तभी सर्वधर्म समभाव की नींव को मजबूती प्रदान होगी |

इतिहास गवा है कि भारतवर्ष में हमेशा से ही सर्वधर्म समभाव की ज्योति जलती रही है | कभी – कभार हम किसी के बहकावे में आकर आपस में लड़े हैं और हमने स्वयं अपना – अपनों का खून बहाया है तब भारत माता बहुत रोई है | इस लड़ाई में हमने अपना बहुत कुछ खोया है | पर जब – जब भारत माता को किसी विदेशी दु:श्मन ने बुरी नजर से देखा तो हम अपनी आपसी लड़ाई को भूलकर एक होकर उस दु:श्मन से लड़े और हमने अनेकता में एकता का उदाहरण कायम रखा | यही हमारी विशेषता है | हम आपस में कितना भी लड़ – झगड़लें पर बाहरी दु:श्मन के लिए हमेशा एक ही रहते हैं | हमने धर्म, भाषा, मान्यता, पहनावा, खान – पान को कभी अपनी अन्दरूनी एकता में रोड़ा नहीं बनने दिया है | हमेशा आपस में सर्वधर्म समभाव की सोच को जिंदा रखकर देशभक्ति के परचम लहराये हैं |

” हिंदू – मुस्लिम, सिख – ईसाई,
सब हैं आपस में भाई – भाई |
ईश्वर – अल्ला, गॉड – गुरू अलग नहीं –
पर्दा हटे तो सब में एक ही छवि देती दिखाई || ”

हम भारतवासिओं को अपने इतिहास, अपनी संस्कृति पर गर्व होना चाहिए और हमेशा इनकी रक्षा करनी चाहिए | हम अफवाहों में अंधे होकर अपने ही भाईयों से लड़ते हैं, अपने ही देश की सम्पत्ति को नष्ट करते हैं | तब हम पूरी दुनियां में बदनाम होते हैं | हमें किसी के बहकावे में नहीं आना चाहिए | अपने विवेक से हमेशा कार्य करना चाहिए | चाहे कुछ भी हो जाये पर निज राष्ट्र की सम्पत्ति को कतई नुकसान नहीं पहुंचाना है, क्योंकि राष्ट्र का नुकसान अपना स्वयं का नुकसान ही है |

अक्सर अपने देश के ही कुछ स्वार्थी नेता, अभिनेता, धर्मगुरू, पुजारी – मुल्ला – मौलवी, ढोंगी बाबा आदि आम जनमानस को बहका देते हैं, धर्म का, भाषा का, संस्कृति का, देवी – देवताओं का हवाला देकर आपस में लड़ा देते हैं और आम जनमानस आपस में लड़कर मर – कट जाते हैं | उसका फायदा ये ढोंगी खूब उठाते हैं | आये दिन इनका काला सामृाज्य लोगों की नजरों के सामने आ रहा है |

रामायण, गीता, कुरान, बाईबल, गुरुग्रंथ साहिब कभी आपस में नहीं लड़ते और जो इन्हें सच्चे ह्रदय से पढ़ते हैं वे भी नहीं लड़ते | लड़ते वे हैं जो इन्हें मानते तो हैं पर कभी इन्हें पढ़ते ही नहीं |

अब हमें अपने आपसी मतभेद को मिटाना होगा | सर्वधर्म समभाव की सोच को हर जन के हृदय में अंकुरित करना होगा तब ही अपना भारत एक सुखी, सुरक्षित, समृध्द, शक्तिशाली राष्ट्र बन सकेगा और ऐसा ही भारत होगा – सपनों का भारत : सर्वधर्म समभाव की दृष्टि से….

” एक कदम तुम बढ़ाओ – एक कदम हम बढ़ायें,
आओ साथी दिलों के सारे भेद मिटायें |
राष्ट्रधर्म से बढ़कर न हो कोई धर्म –
आओ ऐसा घर – घर में अलख जगायें || ”

• मुकेश कुमार ऋषि वर्मा
गांव रिहावली, डाक तारौली गुर्जर,
फतेहाबाद-आगरा , 283111, उ. प्र.
मो. 9627912535

मुकेश कुमार ऋषि वर्मा

नाम - मुकेश कुमार ऋषि वर्मा एम.ए., आई.डी.जी. बाॅम्बे सहित अन्य 5 प्रमाणपत्रीय कोर्स पत्रकारिता- आर्यावर्त केसरी, एकलव्य मानव संदेश सदस्य- मीडिया फोरम आॅफ इंडिया सहित 4 अन्य सामाजिक संगठनों में सदस्य अभिनय- कई क्षेत्रीय फिल्मों व अलबमों में प्रकाशन- दो लघु काव्य पुस्तिकायें व देशभर में हजारों रचनायें प्रकाशित मुख्य आजीविका- कृषि, मजदूरी, कम्यूनिकेशन शाॅप पता- गाँव रिहावली, फतेहाबाद, आगरा-283111