नींद भी रात की दिवानी थी।
नींद भी रात की दिवानी थी।
सिर्फ ये आँख तक कहानी थी।
ख्वाब देखा हरेक बचपन में
खुश तभी मेरी ज़िन्दगानी थी।
फूल से ही सजा रहा वो पल
बात भी याद सब जुबानी थी।
साथ गुड्डा रहे यु गुड़ियो के
और दादी तेरी वो कहानी थी।
मौज से वक़्त भी कहाँ गुजरा
आज दुनियां मेरी वीरानी थी।
अब बड़े है सुकून गुम है बस
दौड़ ही अब यहाँ लगानी थी।
राज सिंह