कविता

पिरामिड

 

“पिरामिड”

(1)

ये
चोटी
शिखर
हिमालय
गगन चुम्बी
पर्वत मालाए
रक्षा सीमा प्रहरी।।

(2)
ये
शीर्ष
पहाड़
रमणीय
सुंदर छवि
झरते झरना
अतीव लुभावना।।

महातम मिश्र, गौतम गोरखपुरी

*महातम मिश्र

शीर्षक- महातम मिश्रा के मन की आवाज जन्म तारीख- नौ दिसंबर उन्नीस सौ अट्ठावन जन्म भूमी- ग्राम- भरसी, गोरखपुर, उ.प्र. हाल- अहमदाबाद में भारत सरकार में सेवारत हूँ